बच्चे
वासनाओं से नहीं,
कामनाओं से आते हैं हमारी गोद में,
वरना हर डाला हुआ बीज पौधा नहीं बन जाता।
बच्चे चाहतों से पलते हैं,
फूल व फल की तरह खिलते हैं,
पल-पल मुस्कुराते
बढ़ते ही जाते हैं,
और फिर एक दिन
हमारे कंधे से कंधा मिलाते,
हमसे भी मजबूत, समझदार व बड़े हो जाते हैं,
और हम न समझ बूढ़े-छोटे।
कितनी बार
कितनी आसानी से ही हो जाता है
यह सब कुछ -
अगर बच्चे वासना से नहीं
प्रार्थना से आते हैं,
और पूजा से पाले जाते हैं।
No comments:
Post a Comment