रंगीला,
हरा,
नीला,
और फिर सफेद रंग ही
आना चाहिये आयु के क्रमानुसार
बढ़ती उम्रह के साथ-साथ जीवन में।
इसे रंगो का विज्ञान ही नहीं,
जीवन का, अनुभव व ज्ञान भी समझना,
और जिसे सफेद भाता हो शुरू से
उसे जीवंतता के लिये, समाज के लिये खतरनाक ही समझना।
क्योंकि या तो छोटी-सी आयु में
वह बहुत जी लिया है या
वह चैन से जीने नहीं देगा अब किसी को।
ऐसा अनुमान नहीं,
सच का ज्ञान ही समझना।
हरा,
नीला,
और फिर सफेद रंग ही
आना चाहिये आयु के क्रमानुसार
बढ़ती उम्रह के साथ-साथ जीवन में।
इसे रंगो का विज्ञान ही नहीं,
जीवन का, अनुभव व ज्ञान भी समझना,
और जिसे सफेद भाता हो शुरू से
उसे जीवंतता के लिये, समाज के लिये खतरनाक ही समझना।
क्योंकि या तो छोटी-सी आयु में
वह बहुत जी लिया है या
वह चैन से जीने नहीं देगा अब किसी को।
ऐसा अनुमान नहीं,
सच का ज्ञान ही समझना।
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