ऐसा
क्यों,कैसे और कब हो गया कि
हम इस धरती पर इतने हो गये कि
प्रकृति के दूसरे जीव-जन्तु इंसान से घबराने लगे
और हम उनको मार-मार कर खाने लगे।
सोचना तो यह भी है
कि क्या हम कभी इतने भी हो जायेंगे
कि इंसानों को मार-पकाकर खायेंगे।
शायद आप ऐसा होना न मानें -
मगर हम इतने तो अब भी हो गये हैं कि
एक दूसरे को नहीं तो
उसके हक को हथियाने लगे हैं,
और एक-दूसरे के हाथ से निवाला छीन-छीन
अपने पेट की आग बुझाने लगे हैं।
अब ऐसा होगा कभी
वस्तुओं व जायदाद के साथ मृत देह का बंटवारा भी कर लेंगे
उसे कीड़ों की तरह अपने घर ले जायेंगे, फ्रीज़ में रखेंगे,
रात का डिनर समझकर खायेंगे और
अपने को अत्याधुनिक कहलायेंगे।
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