Tuesday, June 9, 2015

तीन रंग



हमारी पूरी हाँ में भी 
एक छोटी लघु न है 
और पूरी बड़ी न में भी 
एक लघु हाँ है 
क्योंकि हम दूसरों के लिए 
स्थान रखते हैं 
अपने सोच के द्वार पूरे कभी भी 
बंद नहीं करते हैं। 



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हम अपनों को सदा मस्तिष्क से 
व  परायों को मन से मापने की 
गलती करते हैं
फिर चाहे इस गलती का दंड 
हम जीवन भर भरते हैं। 
मगर क्या करें 
हम तो ऐसे ही हैं 
तो  सदा ऐसा ही करते हैं। 


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चाहे 
कितनी भी आँखें चौडालो
यह आकाश पूरा का पूरा एक साथ नहीं आयेगा तुम्हारे पास 
चाहे 
कितनी भी बाहें फैलालो 
यह धरती भी नहीं आयेगी तुम्हारे हाथ 
इस दिखते से -लंबे, भरे पूरे जीवन  में 
सब कुछ अधूरा -अधूरा -सा ही पाओगे …… 

अच्छा है !
वरना तुम लौट के नहीं 
आ पाओगे।    




































































































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