SURINDER BHASIN
Monday, June 15, 2015
कविता
जब
मस्तिष्क के आकाश में
विचारों के घने बादल टकराते हैं,
तो,
तड़ित कर
मन से होती हुई,
हाथों के रास्ते,
कलम से कागज पर
जो अर्थ कर जाती है
वह कविता हो जाती है।
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