Monday, June 15, 2015

कविता




जब 
मस्तिष्क के आकाश में 
विचारों के घने बादल टकराते हैं,
तो, तड़ित कर 
मन से होती हुई,
हाथों के रास्ते,
कलम से कागज पर 
जो अर्थ कर जाती है 
वह कविता हो जाती है।  

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