नगर के चौराहे पर
नग्न घुमाने से - निर्लज़्ज़,
तुम्हारी देह से किये जाने वाले
दुर्व्यवहार से - चरित्रहीन और
किसी भी तरह के तुम्हारे पर किये
शारीरिक आघात से तुम - कमजोर व शक्तिहीन
मत समझो अपने आपको।
वस्तुत वे ही ऐसा होते हैं जो ये जबरन करते हैं,
ये उनके किये पाप हैं तुम्हारे नहीं।
अपनी आत्मा तक से निर्लेप रहकर ऐसा सदा जानो कि
जो कुछ हुआ है तुमने किया ही नहीं,
तो इसको सामाजिक मर्यादा से नहीं
ईशवरीय आँख से पहचानों
और सब भूल कर
निर्द्व्न्द रहो...... ।
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