Wednesday, June 10, 2015

मेरा नाम



मेरा नाम 
एक ऐसा शब्द बीज है 
जो मुझमें रोपा गया 
मेरे इस धरती पर उतरने के बाद 
और अब जो मेरे अस्तित्व का हिस्सा बना 
चिपका दिया गया है मेरे पर - न छूटने के लिये । 

वह मेरे से भी कुछ अधिक  
फलता-फूलता है। 
और वहाँ-वहाँ भी मिलता है मुझे 
जहाँ मैं नहीं भी होता,होना चाहता,हो सकता। 

स्वार्थों की खोह में भी 
वह मुझसे अधिक अनाम है और 
दूसरे तरीके से बदनाम है।

मुझे मालूम है कि 
वह मेरा पीछा नहीं छोड़ेगा 
 प्रेत बनकर टहलेगा कागजों में, मेरे गुजरने के  बाद
मगर वह मेरा नाम है, 
तो मैं तो 
उसके साथ हूँगा ही 
चाहूँ या न चाहूँ।





















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