सबसे बड़ा
हथियार, औजार और यान है दिमाग।
जो हमारे सो जाने पर भी
नहीं सोता है
और वक़्त की तरह
दिन-रात अनवरत चलता है।
हमारे न चाहने पर भी
हमें कहाँ-कहाँ घुमाता है
हमारे सो जाने पर भी
क्या-क्या कर जाता है।
हमारे चुप रह जाने पर भी बड़ा बोलता है
लड़ता है, झगड़ता है , भीतर-बाहर
पुरानी तोड़ता और नयी-नयी घड़ता है।
क्षण भर में जन्मों-सदियों पीछे तो
पलभर में आगे कल्पनाओं के नये लोक में हमें घुमाता है।
वश में रहे तो
इंसान बुलंदियों पर
बेवश हो जाये तो
इंसान को पागल कर
रसातल में मिलाता है।
----------- सुरेन्द्र भसीन
हथियार, औजार और यान है दिमाग।
जो हमारे सो जाने पर भी
नहीं सोता है
और वक़्त की तरह
दिन-रात अनवरत चलता है।
हमारे न चाहने पर भी
हमें कहाँ-कहाँ घुमाता है
हमारे सो जाने पर भी
क्या-क्या कर जाता है।
हमारे चुप रह जाने पर भी बड़ा बोलता है
लड़ता है, झगड़ता है , भीतर-बाहर
पुरानी तोड़ता और नयी-नयी घड़ता है।
क्षण भर में जन्मों-सदियों पीछे तो
पलभर में आगे कल्पनाओं के नये लोक में हमें घुमाता है।
वश में रहे तो
इंसान बुलंदियों पर
बेवश हो जाये तो
इंसान को पागल कर
रसातल में मिलाता है।
----------- सुरेन्द्र भसीन
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