Sunday, October 22, 2017

आज का रावण

इस देश के
(आत्मा)राम को
न जाने क्या हुआ कि
इसे आज का रावण
दिखता क्यों नहीं है ?
तीन सौ पैंसठ दिन
अपने दसों सिरों से हमारा उपहास करता
वे दसों दिशाओं में
बढ़ता ही जाता है
और हमारा राम है कि 
दशहरे के एक दिन का इंतजार
करता ही रह जाता है
और बहुत जल्दी ही ऊपरी/फौरी तौर
पर उसे मारकर
उसे जलाकर
अपने कर्तव्य की इतश्री कर,
मिठाई-खा, सो जाता है। 
अच्छा हो सब
अपने भीतर
(आत्मा)राम को जगाओ
उसे दिनोदिन बढ़ता
रावण दिखाओ,
उसे मारकर,
रोज दशहरा मनाओ।
        ------     सुरेन्द्र भसीन

No comments:

Post a Comment