कोई नहीं पहनता कपड़े
सिर्फ एक इंसान के सिवा
वह भी किससे ?
क्या छुपाना चाहता है ?
क्यों वह जैसा है
वैसा नजर नहीं आना चाहता है ?
क्यों वह अपने आप से डर जाता है ?
अपने काले कारनामों, कमजोरियों,नाकामयाबियों को
अपनी श्रेष्ठता व सभ्यता की आड़ में
छुपाता है ? और अपने
दिमागी हथियार से सभी को डराता है।
वो अपने को कितना भी तर्क पूर्ण बना ले
प्रकृति के आगे
निकृष्ठ ही सिद्ध होएगा।
हो न हो
अपने दिमाग के कारण ही
वह एक न एक दिन
इस धरती से अपने
अस्तित्व को खोएगा।
---------- सुरेन्द्र भसीन
सिर्फ एक इंसान के सिवा
वह भी किससे ?
क्या छुपाना चाहता है ?
क्यों वह जैसा है
वैसा नजर नहीं आना चाहता है ?
क्यों वह अपने आप से डर जाता है ?
अपने काले कारनामों, कमजोरियों,नाकामयाबियों को
अपनी श्रेष्ठता व सभ्यता की आड़ में
छुपाता है ? और अपने
दिमागी हथियार से सभी को डराता है।
वो अपने को कितना भी तर्क पूर्ण बना ले
प्रकृति के आगे
निकृष्ठ ही सिद्ध होएगा।
हो न हो
अपने दिमाग के कारण ही
वह एक न एक दिन
इस धरती से अपने
अस्तित्व को खोएगा।
---------- सुरेन्द्र भसीन
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