Sunday, October 22, 2017

कविता किरचें

कविताओं  के  नहीं
बिखराव  के  संकलन होते हैं
यह कविता संग्रह
छोटे-छोटे रंगीन कांच की
किरचें बटोरना
भावनाओं को बिना सार्थक वजह बीनना
महज जगह साफ़ करने के उद्देश्य से समेटना
कि अब किरचें
लहुलुहान नहीं करेंगी किसी को,
कि आश्वस्त करना सभी को,
कि हादसे
तरतीब से
निपट /गुजर गए हैं।
     ---------             सुरेन्द्र  भसीन 

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