दस्तूर /चलन
अब
हम नहीं बोलते बुरा किसी को
हम नहीं कहते गलत किसी को
जो गलत होगा, बुरा होगा
खुद ही टकरायेगा
अपने जैसे किसी को,
खुद ठोकरें खाकर
सुधर गया तो ठीक
वरना टूट कर चूर-चूर हो जायेगा
अब यह दस्तूर नहीं
न ही दुनिया का चलन कि
कोई रोके किसी को, टोके किसी को
कोई नहीं दोस्त हमारा
न हम रिश्तेदार किसी के
सही हो या गलत
हम तो सबके साथ....
सिर्फ मुस्कुरायेंगे
गलत हो या सही
गर्दन हाँ में ही
हिलायेंगे।
----------- सुरेन्द्र भसीन
अब
हम नहीं बोलते बुरा किसी को
हम नहीं कहते गलत किसी को
जो गलत होगा, बुरा होगा
खुद ही टकरायेगा
अपने जैसे किसी को,
खुद ठोकरें खाकर
सुधर गया तो ठीक
वरना टूट कर चूर-चूर हो जायेगा
अब यह दस्तूर नहीं
न ही दुनिया का चलन कि
कोई रोके किसी को, टोके किसी को
कोई नहीं दोस्त हमारा
न हम रिश्तेदार किसी के
सही हो या गलत
हम तो सबके साथ....
सिर्फ मुस्कुरायेंगे
गलत हो या सही
गर्दन हाँ में ही
हिलायेंगे।
----------- सुरेन्द्र भसीन
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