तुम्हारे
ये खुदगर्ज वासनामयी तर्क
किसी काम नहीं आयेंगे
जब अंतिम समय यमदूत तुम्हें लेने आयेंगे।
तुम्हारा हिसाब-किताब, धन-दौलत
पुण्य कर्म के तुम्हारे
बटोरे हुए दिखावटी कागजी तमगों
सरकारी वाहवाहियों, प्रशस्तीपत्रों का भार भी
यहीं छूट जायेगा -नीचे
न कोई इन्हें सुनेगा, न ही
इनका तिनका भर ऊपर जा पायेगा तुम्हारे साथ।
क्योंकि वहाँ के
पाप-पुण्य की भाषा, परिभाषा
कर्म के सदमार्ग की ओर से
पूर्णतया अनभिज्ञ ही रहे जीवन भर
सत्य को भी तुमने कभी न जाना, न पहचाना ।
अब अपने अंतिम समय
जब तुम्हें हाथ पर रखे दिए की लौ में
एक लौ हो जाना है तो,
होंगे कैसे ?
किस विश्वास के सत्य के साथ
कह पाओगे उसे
कि मुझे अपने में समा लो !
--------- सुरेन्द्र भसीन
ये खुदगर्ज वासनामयी तर्क
किसी काम नहीं आयेंगे
जब अंतिम समय यमदूत तुम्हें लेने आयेंगे।
तुम्हारा हिसाब-किताब, धन-दौलत
पुण्य कर्म के तुम्हारे
बटोरे हुए दिखावटी कागजी तमगों
सरकारी वाहवाहियों, प्रशस्तीपत्रों का भार भी
यहीं छूट जायेगा -नीचे
न कोई इन्हें सुनेगा, न ही
इनका तिनका भर ऊपर जा पायेगा तुम्हारे साथ।
क्योंकि वहाँ के
पाप-पुण्य की भाषा, परिभाषा
कर्म के सदमार्ग की ओर से
पूर्णतया अनभिज्ञ ही रहे जीवन भर
सत्य को भी तुमने कभी न जाना, न पहचाना ।
अब अपने अंतिम समय
जब तुम्हें हाथ पर रखे दिए की लौ में
एक लौ हो जाना है तो,
होंगे कैसे ?
किस विश्वास के सत्य के साथ
कह पाओगे उसे
कि मुझे अपने में समा लो !
--------- सुरेन्द्र भसीन
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