पहले भी कभी
हम सभी थे यहीं
इस शून्य में ,वातावरण में
बस नजर नहीं आते थे....
देख पाते थे सभी कुछ
बोल या उसमें शामिल नहीं हो पाते थे...
फिर हमारा जन्म हुआ
हम वजूद में आए,
खाने लगे, गाने लगे
चलने लगे , बतियाने लगे ...
अब फिर होगा कभी
एक दिन
हम इस महाशून्य में घुल जाएंगे
विचरेंगे यहीं कहीं
देखेंगे सब कुछ
मगर कह नहीं पाएंगे ...
तो क्या ?
--------- सुरेन्द्र भसीन
हम सभी थे यहीं
इस शून्य में ,वातावरण में
बस नजर नहीं आते थे....
देख पाते थे सभी कुछ
बोल या उसमें शामिल नहीं हो पाते थे...
फिर हमारा जन्म हुआ
हम वजूद में आए,
खाने लगे, गाने लगे
चलने लगे , बतियाने लगे ...
अब फिर होगा कभी
एक दिन
हम इस महाशून्य में घुल जाएंगे
विचरेंगे यहीं कहीं
देखेंगे सब कुछ
मगर कह नहीं पाएंगे ...
तो क्या ?
--------- सुरेन्द्र भसीन
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