Saturday, October 14, 2017

हादसा

हादसा 

एक आईना होता है 
सबके भीतर लगा हुआ 
उससे सब बचना चाहते हैं 
उसके आगे 
काले होकर 
नहीं न जाना चाहते हैं 
कैसे भला ? 
कोई अपने ऐबों को देखें 
फिर निर्मोही होकर उन्हें काटे 
जैसे अपनी ही मुरझाई,
बेकार झूलती, काली-सूखी पड़ी टहनी को 
कोई पेड़ स्वयं ही काटे। 

बड़ा असंभव-सा है यह सब होना 
 मगर फिर एक दिन 
वक़्त ही निर्दयता से इसे 
कर जायेगा 
तब  हमारे जीवन में 
हादसा घटित 
हो जायेगा। 
         ------------             सुरेन्द्र भसीन 

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