हादसा
एक आईना होता है
सबके भीतर लगा हुआ
उससे सब बचना चाहते हैं
उसके आगे
काले होकर
नहीं न जाना चाहते हैं
कैसे भला ?
कोई अपने ऐबों को देखें
फिर निर्मोही होकर उन्हें काटे
जैसे अपनी ही मुरझाई,
बेकार झूलती, काली-सूखी पड़ी टहनी को
कोई पेड़ स्वयं ही काटे।
बड़ा असंभव-सा है यह सब होना
मगर फिर एक दिन
वक़्त ही निर्दयता से इसे
कर जायेगा
तब हमारे जीवन में
हादसा घटित
हो जायेगा।
------------ सुरेन्द्र भसीन
एक आईना होता है
सबके भीतर लगा हुआ
उससे सब बचना चाहते हैं
उसके आगे
काले होकर
नहीं न जाना चाहते हैं
कैसे भला ?
कोई अपने ऐबों को देखें
फिर निर्मोही होकर उन्हें काटे
जैसे अपनी ही मुरझाई,
बेकार झूलती, काली-सूखी पड़ी टहनी को
कोई पेड़ स्वयं ही काटे।
बड़ा असंभव-सा है यह सब होना
मगर फिर एक दिन
वक़्त ही निर्दयता से इसे
कर जायेगा
तब हमारे जीवन में
हादसा घटित
हो जायेगा।
------------ सुरेन्द्र भसीन
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