Monday, October 23, 2017

कामना

 हे,
अग्निदेव! जलदेव!
मेरे मरणोपरांत, 
मेरी हड्डी-हड्डी जला-लो, 
गला-लो पूर्णतया
चूर-चूर करके 
उसकी राख बना लो 
पुनः इस वातावरण 
में मिला लो !
     ---------             सुरेन्द्र  भसीन    

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