Saturday, October 21, 2017

लंबा चुप

लंबा चुप रहना
भी झगड़ना ही होता है....
विरोध, बोलकर चाहे न कहना
लगातार चुप रहना
व्यथा  में, असहमति में....
कहने को सदा उद्त्त रहना
मगर स्थान न पाना/ न मिलना
क्रोध की पराकाष्ठा को झेलते रहना
चिंतन में घुलते रहना
लड़ते जाना,
करते जाना,
निरंतर संघर्ष अपने में
अपने ही भीतर
एक इंतजार भरा
अपनी ही सहमति में।
           ------------            सुरेन्द्र भसीन   

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