किसान
व्यापारी या शहरी बाबू से
ज्यादा आस्थावान होता है
जो प्रकृति से पाये बीजों को
एक-एक करके अपने हाथों
धरती में गोड़ता(दबाता) है
उनके सौगुना हो जाने
फिर से उपज आने को
आस्था का चमत्कार
फिर से हो जाने को।
----- सुरेन्द्र भसीन
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