क्रोध को
पीने से
या अपने ही भीतर घोटने से
विकृतियां ही पैदा होती हैं
जो गुमनाम कैंसर या
रसौली बनकर फिर फूटती हैं
एक लंबे अंतराल के बाद जानलेवा होकर
अच्छा हो
उन्हें गलाते रहो और
बातचीत करके
उन्हें बहाते रहो।
---------- सुरेन्द्र भसीन
पीने से
या अपने ही भीतर घोटने से
विकृतियां ही पैदा होती हैं
जो गुमनाम कैंसर या
रसौली बनकर फिर फूटती हैं
एक लंबे अंतराल के बाद जानलेवा होकर
अच्छा हो
उन्हें गलाते रहो और
बातचीत करके
उन्हें बहाते रहो।
---------- सुरेन्द्र भसीन
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