Wednesday, November 1, 2017

हम सारे पत्थर

सारे के सारे पत्थर
थोड़े न पूजे जाते हैं 
न ही तुम्हारी कामनाएं ही पूरी कर पाते हैं 
अधिकतर तो 
मारने के काम ही आते हैं या 
राह में पड़े फूटते-फोड़ते ही 
अपना जीवन बिताते हैं 
देवता नहीं बन पाते हैं किसी के लिए। 
पूजा के पत्थर तो स्थापित होते हैं आस्था से 
उन्हें फूंकना होता है मंत्रोच्चार से
मंदिर मेँ देवता स्वरूप बैठाना पड़ता है तभी 
फिर वह तिलिस्म हो जाते हैं 
भगवान की तरह 
काम आते हैं। 
तुम्हारी इच्छाएं पूरी कर पाते हैं। 
           -------         सुरेन्द्र भसीन 
  


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