Thursday, November 16, 2017

शहर नहीं रहे रहने के लिए

शहर तो 
अब शहर नहीं रहे 
सुरक्षित निवास। 
श्मशान हो गए हैं-
दमघोंटू जहरीली गैसों के डैथ्चेम्बर 
छोड़ दो जल्दी से इन्हें  
लौट चलो 
पहाड़ों में,
खेतों में,
जंगलों में,
प्रकृति की पनाह में   
सांस लेने के लिए 
जीवन जीने के लिए। 
   -----------        सुरेन्द्र भसीन 

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