शहर तो
अब शहर नहीं रहे
सुरक्षित निवास।
श्मशान हो गए हैं-
दमघोंटू जहरीली गैसों के डैथ्चेम्बर
छोड़ दो जल्दी से इन्हें
लौट चलो
पहाड़ों में,
खेतों में,
जंगलों में,
प्रकृति की पनाह में
सांस लेने के लिए
जीवन जीने के लिए।
----------- सुरेन्द्र भसीन
अब शहर नहीं रहे
सुरक्षित निवास।
श्मशान हो गए हैं-
दमघोंटू जहरीली गैसों के डैथ्चेम्बर
छोड़ दो जल्दी से इन्हें
लौट चलो
पहाड़ों में,
खेतों में,
जंगलों में,
प्रकृति की पनाह में
सांस लेने के लिए
जीवन जीने के लिए।
----------- सुरेन्द्र भसीन
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