यह जो
दिमाग है न
दिल का पेपरवेट है.....पेपरवेट।
जब दिल लापरवाही में ज़रा फड़फड़ाना चाहता है
तो दिमाग उसे सोच से दबाता है,
दिल कहीं फौरी सफलताओं से बोरा न जाये
इसलिए बड़े बुजुर्गों की तरह इसे समझाता है।
तुम यह करते तो यह हो जाता,
तुम वह करते या वहाँ पहुंच जाते तो वह हो जाता
जैसे भारी भरकम जुमले
लगालगाकर सदा उसे दबाता है।
हंसने, जीने, जीत का जश्न मनाने के वक़्त भी
उसे सीखों से रोता, कलपाता है।
अच्छा हो
दिमाग के भी दायरे बांधो !
उसे कभी दिल कब्जाने मत दो,
दिल को दिल ही रहने दो उसे
दिमाग बन जाने मत दो।
--------- सुरेन्द्र भसीन
दिमाग है न
दिल का पेपरवेट है.....पेपरवेट।
जब दिल लापरवाही में ज़रा फड़फड़ाना चाहता है
तो दिमाग उसे सोच से दबाता है,
दिल कहीं फौरी सफलताओं से बोरा न जाये
इसलिए बड़े बुजुर्गों की तरह इसे समझाता है।
तुम यह करते तो यह हो जाता,
तुम वह करते या वहाँ पहुंच जाते तो वह हो जाता
जैसे भारी भरकम जुमले
लगालगाकर सदा उसे दबाता है।
हंसने, जीने, जीत का जश्न मनाने के वक़्त भी
उसे सीखों से रोता, कलपाता है।
अच्छा हो
दिमाग के भी दायरे बांधो !
उसे कभी दिल कब्जाने मत दो,
दिल को दिल ही रहने दो उसे
दिमाग बन जाने मत दो।
--------- सुरेन्द्र भसीन
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