Saturday, November 4, 2017

मुझसे पूछना महज दस्तूर था तुम्हारा 
करनी तो तुमने अपने मन की ही थी 
बातों में उलझाकर मुझको 
रखनी टांग मुझ पर ही थी 
बात अपनी मनवाने का 
यह तुम्हारा महज स्वांग ही था 

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