ये पल-पल बदलते मौसम,
ये होते दिन-रात,
ये निकलती धूप, ये बहती हवा,
ये घुमड़-घुमड़ कर बरसते बादल
और ये वनस्पति पनपती धरा पर
ये हमें पालने-पोसने के
सारे प्रयास ही हैं जो प्रकृति करती है ईश्वर के इशारों पर।
हमें नहलाने, हमें सुखाने,
हमें जगाने, हमें खिलाने-पिलाने
और हमें वक्त पर रात करके, अंधेरा करके
सुलाने या उजाला कर जगाने के लिये पल-पल प्रकृति सदा ही है
हमारे साथ एक फिक्रमयी माँ की तरह।
ये धूप,ये हवा, ये आग या पानी बरसाते बादल
नहीं घूमते-फिरते इधर-उधर लापरवाह मनमौजी होकर,
ये सब नपा-तुला ही करते व्यवहार एक-दूसरे से बंधे-बंधे।
सभी हमारे लिये ही करते हैं मशक्क़त,
आयोजित कदमताल ईश्वर के इशारों पर
सदा हमें पालने के लिये, संभालने के लिये और
एक ऋद्धम्, एक सरगम एक जीवन ही जन्मता है धरती पर इनके आशीर्वाद की तरह धरा पर बरसने के बाद।
ये होते दिन-रात,
ये निकलती धूप, ये बहती हवा,
ये घुमड़-घुमड़ कर बरसते बादल
और ये वनस्पति पनपती धरा पर
ये हमें पालने-पोसने के
सारे प्रयास ही हैं जो प्रकृति करती है ईश्वर के इशारों पर।
हमें नहलाने, हमें सुखाने,
हमें जगाने, हमें खिलाने-पिलाने
और हमें वक्त पर रात करके, अंधेरा करके
सुलाने या उजाला कर जगाने के लिये पल-पल प्रकृति सदा ही है
हमारे साथ एक फिक्रमयी माँ की तरह।
ये धूप,ये हवा, ये आग या पानी बरसाते बादल
नहीं घूमते-फिरते इधर-उधर लापरवाह मनमौजी होकर,
ये सब नपा-तुला ही करते व्यवहार एक-दूसरे से बंधे-बंधे।
सभी हमारे लिये ही करते हैं मशक्क़त,
आयोजित कदमताल ईश्वर के इशारों पर
सदा हमें पालने के लिये, संभालने के लिये और
एक ऋद्धम्, एक सरगम एक जीवन ही जन्मता है धरती पर इनके आशीर्वाद की तरह धरा पर बरसने के बाद।
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