Friday, August 21, 2015

आस्था का चमत्कार

एक किसान 
शहरी बाबू या व्यापारी से 
कहीं ज्यादा आस्थावान-दयावान होता है
जो प्रकृति  से पाए बीजों को 
एक-एक करके अपने हाथों ही ज़मीन में दबाता है,
उनके सौगुना होकर फिर से उपज आने को,
आशा का, आस्था का चमत्कार फिर से घटित हो जाने को। 
फिर, पहले वह पक्षियों को न्यौतता है, 
फसल पक जाने के बाद । 
प्रकृति भाग घट जाने पर ही 
अपना हक घर ले जाता है पसीने का धोया हुआ,
ईश्वर का दिया वरदान मानकर। 


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