रंगीन तितलियां
आकाश में मंडरातीं
मानवी ध्वनियां हैं ये
ढुंडतीं धरती पर छूटे
अपने स्थानों को
स्मृतियों में बसी गंधों और परछाईयों को
अक्षय ध्वनियां
भटक रही हैं
आज तक
आकाश में.....
------- baldev vanshi .........
आकाश में मंडरातीं
मानवी ध्वनियां हैं ये
ढुंडतीं धरती पर छूटे
अपने स्थानों को
स्मृतियों में बसी गंधों और परछाईयों को
अक्षय ध्वनियां
भटक रही हैं
आज तक
आकाश में.....
------- baldev vanshi .........
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