हर जलते दिये के
दायरे के बाहर
काला अँधेरा
घिरा रहता है सदा
अपना मौका पाने को।
जो दिये के बुझते ही
झपट पड़ता है
और अपने जोर से
दिये और बाती को काला कर देता है,
अपना बदला चुक जाने को।
दायरे के बाहर
काला अँधेरा
घिरा रहता है सदा
अपना मौका पाने को।
जो दिये के बुझते ही
झपट पड़ता है
और अपने जोर से
दिये और बाती को काला कर देता है,
अपना बदला चुक जाने को।
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