मेरा कोई नाम नहीं है
मैं नहीं रखना चाहता
तुम्हारे मानसपटल पर
अपनी कोई पहचान।
मैं नहीं चाहता कि पहले से
मुझे कोई पहचाने -पुकारे
और मुझे मस्तिष्क के किसी
कोष्ठक व खाँचे में धकेलकर
पुरातन -अंदाजतेन करे मुझसे व्यवहार।
मुझे
स्त्री -पुरष -धर्म -देश -पशु -पक्षी या पेड़ जैसे
विभाजन भी नहीं हें स्वीकार।
मै तो बस हूँ
और रहूंगा
यही है मेरा आकार।
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