Thursday, May 28, 2015

पहचान



मेरा कोई नाम नहीं है 
मैं नहीं रखना चाहता 
तुम्हारे मानसपटल पर 
अपनी कोई पहचान। 

मैं नहीं चाहता कि पहले से 
मुझे कोई पहचाने -पुकारे 
और मुझे मस्तिष्क के किसी 
कोष्ठक व खाँचे में धकेलकर 
पुरातन -अंदाजतेन करे मुझसे व्यवहार। 
मुझे 
स्त्री -पुरष -धर्म -देश -पशु -पक्षी  या पेड़ जैसे 
विभाजन भी नहीं हें स्वीकार। 
मै तो बस हूँ 
और रहूंगा 
यही है मेरा आकार।   





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