ऐसा भी
होता है कभी
कि किसी पेड़ को
उसके पॉँव मिल जायें
वह नाचने लगे
हमसे लिपटने लगे,गले लग जाये
हमारे संग दौड़ कर दिखाने लगे,
अपनी ख़ुशी में शामिल करने को
अपनी अनगिनत डालों या कंधों
पर बैठा कर झुलाने लगे।
ऐसा भी
होता है कभी
कि किसी पेड़ को आवाज मिल जाये
और वह हमें हमारी तरह
बोल -बोल कर दिखाने लगे ,
और भावनाओं में बहकर
ऊँचे स्वर में कोई मीठा गीत गाने लगे।
ऐसा भी
होता है कभी
कि किसी पेड़ को पर मिल जायें
वह एक जगह खड़ा न रहे
उड़- उड़ कर अनजान प्रदेश जाने लगे
और तरह- तरह के पहाड़ों -झरनों व नदियों को
अपने उड़ान के खट्टे -मीठे तजुर्बे बताने लगे।
मगर ऐसा होता नहीं है कभी
प्रकृति का पेड़
चाहे कितना भी ललचाये
जो प्रकृति ने उसे नहीं दिया
वे पैर या पर
वह पा नहीं सकता
और प्रकृति के नियम को
कोई भी झुठला नहीं सकता।
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