एक के नहीं
अनेक के
ढोल पर थाप देने से ही
गिरती है पुरानी व्यवस्था की दीवार ,
मगर पुराने नींव -नक़्शों पर
नयी सोच नहीं चढ़ेगी परवान।
इस पुराने दुर्ग की दीवारों व छतों को
नये प्लस्तर व रंग लेपने - पोतने भर से
बदल नहीं जाने वाला इस व्यवस्था का व्यवहार।
नया कुछ चाहिए तो इसे
नींव से ही बदलना होगा
अपनी सदियों पुरानी
सोच को बदलना होगा।
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