Saturday, May 9, 2015

एक के नहीं 
अनेक के 
ढोल पर थाप देने से ही 
गिरती है पुरानी व्यवस्था की दीवार ,
मगर पुराने नींव -नक़्शों पर 
नयी सोच नहीं चढ़ेगी परवान। 

इस पुराने दुर्ग की दीवारों व छतों  को 
नये प्लस्तर व रंग लेपने - पोतने  भर से 
बदल नहीं जाने वाला इस व्यवस्था का व्यवहार। 

नया कुछ चाहिए तो इसे 
नींव से ही बदलना होगा 
अपनी सदियों पुरानी 
सोच  को बदलना होगा। 

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