नींद एक जीवन/ मृत्यु
नींद
भी तो
एक तरह से मृत्यु का ही एक लघु रूप होता है।
जो हमें निचेश्ट कर प्रारूपित करता है कुछ पलों के लिए
नीचे - गहरे नींद की आगोश में
और हम
एक नया लोक आलोक कर लेते हैँ
अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए।
तब हम यहाँ के संस्मरणों के स्मरण के इलावा
सब कुछ खो चुके होते हैं।
और
नींद पूरी होने पर
बिस्तरयान पर पड़े हमे यह अहसास
भी नहीं होता कि हम एक
छोटी मृत्यु को जी भी चुके हैं।
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