हर बार
हुआ तो (हत्या,लूटपाट, बलात्कार .... )
सब कुछ होता है।
मगर साबित कुछ नहीं होता है
क्योंकि पीड़ित पक्ष में
कोई गरीब, किसान या मजदूर होता है।
न जाने कौन ?
कब ?
आके उसके साथ यह कर जाता है ?
देश की सरकार को तो कुछ नहीं दिखता
भगवान तक को कुछ पता नहीं होता है ...
तब सारी मानवता का जमीर तक न जाने कहाँ चला गया होता है...
किसके हाथों बिका हुआ होता है ?
पता नहीं चलता।
मैं पूछता हूँ -
क्या गरीब, किसान, गरीब देश का नागरिक नहीं होता है ?
क्या ? उसे किसी और भगवान ने बनाया हुआ होता है ?
------------ सुरेन्द्र भसीन
हुआ तो (हत्या,लूटपाट, बलात्कार .... )
सब कुछ होता है।
मगर साबित कुछ नहीं होता है
क्योंकि पीड़ित पक्ष में
कोई गरीब, किसान या मजदूर होता है।
न जाने कौन ?
कब ?
आके उसके साथ यह कर जाता है ?
देश की सरकार को तो कुछ नहीं दिखता
भगवान तक को कुछ पता नहीं होता है ...
तब सारी मानवता का जमीर तक न जाने कहाँ चला गया होता है...
किसके हाथों बिका हुआ होता है ?
पता नहीं चलता।
मैं पूछता हूँ -
क्या गरीब, किसान, गरीब देश का नागरिक नहीं होता है ?
क्या ? उसे किसी और भगवान ने बनाया हुआ होता है ?
------------ सुरेन्द्र भसीन
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