पुजारिन
मुझे नहीं पता
वह मुझे कब चूमती है ?
मेरे इर्द-गिर्द वह क्यों घूमती है ?
नज़र उठा कर देख लूँ ग़र
तो शरमा जाती है।
अपनी ही चाशनी में नहा जाती है ...
अपना प्रेम आँखों से जता जाती है।
--------- -सुरेन्द भसीन
मुझे नहीं पता
वह मुझे कब चूमती है ?
मेरे इर्द-गिर्द वह क्यों घूमती है ?
नज़र उठा कर देख लूँ ग़र
तो शरमा जाती है।
अपनी ही चाशनी में नहा जाती है ...
अपना प्रेम आँखों से जता जाती है।
--------- -सुरेन्द भसीन
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