वजूद
स्वीकारलो
मुझे ऐसा का ऐसा ही
जैसाकि मैं हूँ
अपने तमाम अवगुणों के साथ....
फिर तुम मेरी
प्रेयसी हो, गुरु हो या
चाहे हो भगवान !
बिना अवगुणों के
या अवगुण जैसा तो कभी
कुछ होता ही नहीं
न धरती... न आकाश .... ।
मेरे विशेषगुण ही
अवगुणों में बदल जाते हैं
वक़्त, जरूरत व दृष्टि
बदलने के साथ ही साथ ....
मुझको ऐसे ही
संभालो ! सहेजो !
मेरे इसी वजूद के साथ ... . ।
-------- सुरेन्द्र भसीन
स्वीकारलो
मुझे ऐसा का ऐसा ही
जैसाकि मैं हूँ
अपने तमाम अवगुणों के साथ....
फिर तुम मेरी
प्रेयसी हो, गुरु हो या
चाहे हो भगवान !
बिना अवगुणों के
या अवगुण जैसा तो कभी
कुछ होता ही नहीं
न धरती... न आकाश .... ।
मेरे विशेषगुण ही
अवगुणों में बदल जाते हैं
वक़्त, जरूरत व दृष्टि
बदलने के साथ ही साथ ....
मुझको ऐसे ही
संभालो ! सहेजो !
मेरे इसी वजूद के साथ ... . ।
-------- सुरेन्द्र भसीन