जाता हुआ
जो देता है
ताकि मेरी दया के लिए
मुझे लोग याद रखें
मेरे जाने के बाद ...
वैसे भी तो
सब यहाँ छूट ही जाना है ...
अपना तो सब कुछ पुर गया है,
बाकी सब कुछ बेगाना ही है ...
यह दिया दान नहीं है
स्वार्थ ही है
हारी हुई बाजी जीतने का
एक और
असफल प्रयास...
और पर तौलते
उड़ने को आतुर
पक्षी की पहचान है यह
कि पक्षी के परों में
कुछ नहीं समायेगा
अगर उसने
उठाने का किया प्रयास
तो वह उड़
नहीं पायेगा।
----------- -सुरेन्द्र भसीन
जो देता है
ताकि मेरी दया के लिए
मुझे लोग याद रखें
मेरे जाने के बाद ...
वैसे भी तो
सब यहाँ छूट ही जाना है ...
अपना तो सब कुछ पुर गया है,
बाकी सब कुछ बेगाना ही है ...
यह दिया दान नहीं है
स्वार्थ ही है
हारी हुई बाजी जीतने का
एक और
असफल प्रयास...
और पर तौलते
उड़ने को आतुर
पक्षी की पहचान है यह
कि पक्षी के परों में
कुछ नहीं समायेगा
अगर उसने
उठाने का किया प्रयास
तो वह उड़
नहीं पायेगा।
----------- -सुरेन्द्र भसीन
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