सुनने वाला तो
सभी को चाहिए -
माँ के रूप में, बहन, प्रेमिका, बीवी के रूप में,
मातहत, भाई, दोस्त, पिता रूप में
या फिर
मूर्ति रूपी भगवान के रूप में
और न मिला तो
अपने निज (छ्दम या स्व ) रूप
को ही सुनाने बैठ जायेगा और
बातें करता करता व्यक्ति
अपने भीतर ही, मौन हो जाएगा
कंदराओं में खो जाएगा
साधू या फकीर
हो जायेगा।
----------- -सुरेन्द्र भसीन
सभी को चाहिए -
माँ के रूप में, बहन, प्रेमिका, बीवी के रूप में,
मातहत, भाई, दोस्त, पिता रूप में
या फिर
मूर्ति रूपी भगवान के रूप में
और न मिला तो
अपने निज (छ्दम या स्व ) रूप
को ही सुनाने बैठ जायेगा और
बातें करता करता व्यक्ति
अपने भीतर ही, मौन हो जाएगा
कंदराओं में खो जाएगा
साधू या फकीर
हो जायेगा।
----------- -सुरेन्द्र भसीन
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