नहीं
मैं नहीं मानता कि
समाज उत्थान के लिए
समय-समय पर देवता ही लेते हैं
इस धरती पर अवतार।
कोई इंसान ही
जीवन भट्टी पर तपकर
हम सब के बीच देवता के
रूप में होता है तैयार।
जैसे दबाव पड़ने पर
विशेष परिस्तिथियों में
खान का कोयला ही ले ले
जगमग हीरे का आकार।
वैसे ही
कोई कालिया , किसान या कन्हैया ही
अपने वक्त को
धरती को जगमगाने के लिए
पा जाता है देवों का अवतार -
कृष्णावतार !
------------- -सुरेन्द्र भसीन
मैं नहीं मानता कि
समाज उत्थान के लिए
समय-समय पर देवता ही लेते हैं
इस धरती पर अवतार।
कोई इंसान ही
जीवन भट्टी पर तपकर
हम सब के बीच देवता के
रूप में होता है तैयार।
जैसे दबाव पड़ने पर
विशेष परिस्तिथियों में
खान का कोयला ही ले ले
जगमग हीरे का आकार।
वैसे ही
कोई कालिया , किसान या कन्हैया ही
अपने वक्त को
धरती को जगमगाने के लिए
पा जाता है देवों का अवतार -
कृष्णावतार !
------------- -सुरेन्द्र भसीन
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