Tuesday, April 11, 2017

कृष्णावतार

नहीं 
मैं नहीं मानता कि 
समाज उत्थान के लिए 
समय-समय पर देवता ही लेते हैं 
इस धरती पर अवतार। 
कोई इंसान ही 
जीवन भट्टी पर तपकर 
हम सब के बीच देवता के 
रूप में होता है तैयार। 
जैसे दबाव पड़ने पर 
विशेष परिस्तिथियों में 
खान का कोयला ही ले ले 
जगमग हीरे का आकार। 
वैसे ही
कोई कालिया , किसान या कन्हैया ही 
अपने वक्त को 
धरती को जगमगाने के लिए 
पा जाता है देवों का अवतार -
कृष्णावतार !
       -------------           -सुरेन्द्र भसीन  



No comments:

Post a Comment