Friday, April 7, 2017

समझदारी

कुछ लोग कैसा जुगाड़ लगाते हैं
साँप की भी सीढ़ी बनाकर
ऊपर चढ़ जाते हैं।
और कुछ लोग
सीढ़ी को साँप समझकर
छूने से भी घबराते हैं....
कुछ को तरक्की का जनून
यूँ सवार होता है कि
दिन -रात खटते हैं ...
तो कुछ को
काम का फोबिया ऐसा हो जाता है कि
बैठे-बैठे घटते हैं ...

मुश्किल
तो दोनों में ही है
अति सदा गति (तेज या धीमे ) पर भारी है 
इसलिए, संतुलित चलने में ही
समझदारी है।    
 ------------                             - सुरेन्द भसीन 

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