Wednesday, October 31, 2018

बेटा

दूसरों की
ऊँची से ऊँची उड़ती पतंग को देखकर
तुम झुंझलाहट में
अपनी भी पतंग को
बेतहाशा तुनके लगाते जा रहे हो
नहीं जानते कि
कमजोर कमर की बनी तुम्हारी यह पतंग
ज्यादा तुनके नहीं झेल पायेगी और
न ज्यादा ऊंचा उड़ पायेगी....
तुम्हारी जिद से टूट कर
नीचे धराशायी जरूर हो जायेगी...
अच्छा हो इसकी क्षमता को समझ
कुछ कम ही उड़ा लो और
 इसे टूटने व टूट कर बिखरने से
बचा लो।
       ------       सुरेन्द्र भसीन

No comments:

Post a Comment