(अंधेरे में, घोर निराशा में, अंधेरे में चमकती संजीवनी बूटी,एक आशा का प्रतीक है को हनुमान जी श्री राम जी की सेना, सत्य की विजय के लिए तब लाए जब श्री लक्ष्मण जी(युवावर्ग) मूर्षा में था)
जब
अंधेरा घेरता है सब दिशाओं से
तब भीतर से आता है शक्ति का हनुमान
चमकती संजीवनी बूटी ले...
तोड़ता है मूर्छा।
जगाता है आस-उल्हास
और मनरूपी राम
फिर उद्यम में लग जाता है
काले रावण को हराने,
अपनी कामना, इच्छा की
सीता को पाने।
------ सुरेन्द्र भसीन
जब
अंधेरा घेरता है सब दिशाओं से
तब भीतर से आता है शक्ति का हनुमान
चमकती संजीवनी बूटी ले...
तोड़ता है मूर्छा।
जगाता है आस-उल्हास
और मनरूपी राम
फिर उद्यम में लग जाता है
काले रावण को हराने,
अपनी कामना, इच्छा की
सीता को पाने।
------ सुरेन्द्र भसीन
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