Sunday, August 18, 2019

हौसला/हिम्मत

यूँ तो
हौसले या हिम्मत का कोई आकार नहीं होता
वह हाथी से ज़्यादा
चींटी में भरा होता है
जो अपने से कई गुणा वज़न उठाती है और
मौका पाकर हाथी के कान में घुसकर
उसको नाको चने चबवाती है।
जहाँ संशय से घटता है हौसला तो
दृढ़ निश्चय से बढ़ भी जाता है
जिसके सहारे अदना-सा आदमी भी
बड़े-बड़े काम कर जाता है-
कभी पहाड़ दरकाता है तो
कभी समुद्र खंगालता है तो
कभी आकाश में कुंलाचे भरता है...
हौसला है तो कोई भी 
यह सब कर पाता है वरना
वहीं का वहीं रह जाता है।
       ------       सुरेन्द्र भसीन

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