प्रेम का
ऐसा व्यवहार,
ऐसी आशा - अभिलाषा,
ऐसा एकाधिकार
ये प्रेम रूपी ह्रदय नहीं
स्वार्थी मस्तिष्क बोल रहा है
अपने किए को लाभ-हानि के तराजू पर
तोल रहा है।
------ सुरेन्द्र भसीन
ऐसा व्यवहार,
ऐसी आशा - अभिलाषा,
ऐसा एकाधिकार
ये प्रेम रूपी ह्रदय नहीं
स्वार्थी मस्तिष्क बोल रहा है
अपने किए को लाभ-हानि के तराजू पर
तोल रहा है।
------ सुरेन्द्र भसीन
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