आखिर
मिलना तो
सभी को सभी कुछ है भाग्यानुसार ही
तय वक़्त पर
मग़र वक़्त का इंतजार/धैर्य किस किसी को है...
सब
हड़बड़ी में
वक़्त से पहले ही
लूट लेना चाहते हैं मिलने वाला सब कुछ
जैसे अजन्मा बच्चा पेट से
कच्चा फल पेड़ से
याकि उतार लेना चाहते हैं
वक़्त के चलते चॉक से
मिट्टी का अधूरा निर्माण -
टूटा सकोरा, दिया या घट...
छीन लेना चाहते हैं
अपने ही भाग्य से
अपना सौभाग्य!
दुर्भाग्य बनाकर याकि
असभ्यता/अधैर्य का ताजातरीन नमूना...
और यूँ बढ़ता ही जाता
धरा पर
एक घूरे का ढ़ेर...
------ सुरेन्द्र भसीन
मिलना तो
सभी को सभी कुछ है भाग्यानुसार ही
तय वक़्त पर
मग़र वक़्त का इंतजार/धैर्य किस किसी को है...
सब
हड़बड़ी में
वक़्त से पहले ही
लूट लेना चाहते हैं मिलने वाला सब कुछ
जैसे अजन्मा बच्चा पेट से
कच्चा फल पेड़ से
याकि उतार लेना चाहते हैं
वक़्त के चलते चॉक से
मिट्टी का अधूरा निर्माण -
टूटा सकोरा, दिया या घट...
छीन लेना चाहते हैं
अपने ही भाग्य से
अपना सौभाग्य!
दुर्भाग्य बनाकर याकि
असभ्यता/अधैर्य का ताजातरीन नमूना...
और यूँ बढ़ता ही जाता
धरा पर
एक घूरे का ढ़ेर...
------ सुरेन्द्र भसीन
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