Monday, July 31, 2017

देवात्माएँ

देवात्माएँ


दूर... सुदूर
नीले तारों भरे
आकाश में ही नहीं
देवात्माएँ हम-तुम में भी बसती हैं
किसी रंग-बिरंगे फूल-सी खिल जाने को 
आतुर, हमें, तुम्हें, इस जग को
महकाने को।
बस, ज़रूरत है तो
उन्हें प्यार से जगाने को...।
-------- सुरेन्द्र भसीन

No comments:

Post a Comment