देवात्माएँ
दूर... सुदूर
नीले तारों भरे
आकाश में ही नहीं
देवात्माएँ हम-तुम में भी बसती हैं
किसी रंग-बिरंगे फूल-सी खिल जाने को
आतुर, हमें, तुम्हें, इस जग को
महकाने को।
बस, ज़रूरत है तो
उन्हें प्यार से जगाने को...।
-------- सुरेन्द्र भसीन
दूर... सुदूर
नीले तारों भरे
आकाश में ही नहीं
देवात्माएँ हम-तुम में भी बसती हैं
किसी रंग-बिरंगे फूल-सी खिल जाने को
आतुर, हमें, तुम्हें, इस जग को
महकाने को।
बस, ज़रूरत है तो
उन्हें प्यार से जगाने को...।
-------- सुरेन्द्र भसीन
No comments:
Post a Comment