Friday, July 14, 2017

बंद आँखें नहाना

"बंद आँखें नहाना"

माना  मैंने 
कि तुम्हें किसी ने 
नग्न नहाते नहीं देखा 
पानी में डुबकी लगाते या फिर 
लोटा-लोटा नहाते ... 
मगर तुमने तो देखा है कि नहीं 
कई बार अपने आप को नहाते.... नहाते 
कैसा लगता है ?
किसी मजबूर से रिश्वत मांगते?
अपनी बीवी को बेवजह पीटते ?
नशे में किसी दूसरी को जबरदस्ती 
अपनी बांहों में भींचते ?
अपने माँ-बाप को 
खरी-खोटी सुनाते, 
उनकी अवहेलना करते,
उनको रोटी-कपड़े के लिए तरसाते और 
ऐसी ही अपनी तमाम गुस्ताखियों को 
खोखले, नीचता पूर्ण तर्कों से ढांपते...
सच !
क्या तुमने सचमुच 
कभी नहीं देखा 
अपने को नग्न -
क्रोध में, लालच में, वासना में 
डुबकी लगाते या लोटा-लोटा नहाते। 
नहीं देखा ! कभी नहीं देखा?
तो देख लो !
          -----------               -  सुरेन्द्र भसीन  

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