Friday, July 7, 2017

बोलने-कहने से पहले

कुछ  भी 
बोलने-कहने से पहले 
ज़रा रूको 
दाएं-बाएं देखो 
सुनो-सोचो 
जैसा कि गाड़ी चलाते हुए 
करते हो हर बार 
कि कहीं टकरा न जाए
कि कहीं हादसा न हो जाए 
कि कहीं कोई मासूम-मजबूर 
नीचे न आ  जाए 
तुम्हारे अंहकार की गाड़ी के 
कि कहीँ पहिया न  चढ़ जाए 
किसी गरीब के पेट पर 
कि कहीं कोई सपना न टूटे 
अपना न छूटे 
बैठने को तुम्हारी इस बातूनी गाड़ी में ..... 
सामाजिक संकेतों का 
बड़े-छोटे का लिहाज दिखाकर, आदर दिखाकर 
समझ का हार्न बजाकर 
पालन करो अपनी 
परम्पराओं व परिपाटी का। 
बिना सोचे फैंककर बोलना 
बिना ब्रेक के 
गाड़ी ही होती है 
जिनके नीचे कुचल जाती  हैं। 
चाहतें व आशायें 
दंभ की टकराहट से 
हो जाते हैं कई नुकसान-हादसे 
इसलिए बोलने-कहने से पहले 
जरा रूको 
सुनो .... सोचो .... देखो .... 
जैसा कि 
गाड़ी चलाते हुए करते हो हर बार !
           ---------------          - सुरेन्द्र भसीन 





No comments:

Post a Comment