कुछ भी
बोलने-कहने से पहले
ज़रा रूको
दाएं-बाएं देखो
सुनो-सोचो
जैसा कि गाड़ी चलाते हुए
करते हो हर बार
कि कहीं टकरा न जाए
कि कहीं हादसा न हो जाए
कि कहीं कोई मासूम-मजबूर
नीचे न आ जाए
तुम्हारे अंहकार की गाड़ी के
कि कहीँ पहिया न चढ़ जाए
किसी गरीब के पेट पर
कि कहीं कोई सपना न टूटे
अपना न छूटे
बैठने को तुम्हारी इस बातूनी गाड़ी में ..... ।
सामाजिक संकेतों का
बड़े-छोटे का लिहाज दिखाकर, आदर दिखाकर
समझ का हार्न बजाकर
पालन करो अपनी
परम्पराओं व परिपाटी का।
बिना सोचे फैंककर बोलना
बिना ब्रेक के
गाड़ी ही होती है
जिनके नीचे कुचल जाती हैं।
चाहतें व आशायें
दंभ की टकराहट से
हो जाते हैं कई नुकसान-हादसे
इसलिए बोलने-कहने से पहले
जरा रूको
सुनो .... सोचो .... देखो ....
जैसा कि
गाड़ी चलाते हुए करते हो हर बार !
--------------- - सुरेन्द्र भसीन
बोलने-कहने से पहले
ज़रा रूको
दाएं-बाएं देखो
सुनो-सोचो
जैसा कि गाड़ी चलाते हुए
करते हो हर बार
कि कहीं टकरा न जाए
कि कहीं हादसा न हो जाए
कि कहीं कोई मासूम-मजबूर
नीचे न आ जाए
तुम्हारे अंहकार की गाड़ी के
कि कहीँ पहिया न चढ़ जाए
किसी गरीब के पेट पर
कि कहीं कोई सपना न टूटे
अपना न छूटे
बैठने को तुम्हारी इस बातूनी गाड़ी में ..... ।
सामाजिक संकेतों का
बड़े-छोटे का लिहाज दिखाकर, आदर दिखाकर
समझ का हार्न बजाकर
पालन करो अपनी
परम्पराओं व परिपाटी का।
बिना सोचे फैंककर बोलना
बिना ब्रेक के
गाड़ी ही होती है
जिनके नीचे कुचल जाती हैं।
चाहतें व आशायें
दंभ की टकराहट से
हो जाते हैं कई नुकसान-हादसे
इसलिए बोलने-कहने से पहले
जरा रूको
सुनो .... सोचो .... देखो ....
जैसा कि
गाड़ी चलाते हुए करते हो हर बार !
--------------- - सुरेन्द्र भसीन
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