Tuesday, February 7, 2017

नया विचार

कितना भी
कर लो प्रयास
चिकनी, लिपी-पुती दीवारों/कानों के भीतर
कुछ नहीं जाता....
तुम्हारा कहा, नये से नया विचार भी
दीवार पर गोबर पाथने
जैसा ही तो हो जाता है।
सूखने पर /पुराना हो जाने पर
शाम होते न होते
स्वयम ही लकड़ियां डालकर,
आग दिखाकर
उसको जब किसी भी प्रकार से
अपने घर से/ दिमाग से निपटाते हो....
तभी चैन से सो पाते हो।
                                      सुरेंद्र

No comments:

Post a Comment