बड़ा आसान है कुछ भी कहना, सदा बोलते रहना और
बड़ा ही मुशिकल है
होंठ सिले रहना, लंबा चुप रहना।
इन दरख्तों को देखो
जो हज़ारों-हजार हादसों को
मन में सहते हैं मगर
सदा चुप रहते हैं...
अगर कुछ कहते तो
सड़कों के किनारे कैसे खड़े रहते ?
काट नहीं दिये जाते,
छाँट नहीं दिये जाते उनके शरीर
पिछले, बीते किसी मौसम में
बोलना किसको गवारा है आजकल -
मातहत बोंले तो सजा पाते हैं
पेड़ों की छटनी की तरह छांट दिये जाते हैं,
बड़े-बूढे बोंले तो किनारे-कोने में
लगा -सजा दिये जाते हैँ
बोनजाई बनाकर !
बच्चे बोलें तो मार की सजा पाते हैं।
बस इलेक्ट्रॉनिक्स(रेडियो,टीo वीo, म्यूजिक सिस्टम)
का शोर चल जाता है।
क्योंकि जब हम चाहे
खामोश करा दिया जाता है।
यूँ देखो तो
कहने को हम हैं
मगर हमारी इच्छा के साथ हमें कौन चाहता है
हरेक की इच्छा के लिए
अगर हैं बने हम
तो काम चल जाता है
वरना बोनजाई पेड बनाकर
किनारे कोने में हमें लगा दिया जाता है...
हरेक अपने इर्दगिर्द बोनज़ाई चाहता है
इसलिए खुद भी बौना ही हुआ जाता है
बौना ही होता जाता है.....
--------- सुरेंद्र भसीन
काट नहीं दिये जाते,
छाँट नहीं दिये जाते उनके शरीर
पिछले, बीते किसी मौसम में
बोलना किसको गवारा है आजकल -
मातहत बोंले तो सजा पाते हैं
पेड़ों की छटनी की तरह छांट दिये जाते हैं,
बड़े-बूढे बोंले तो किनारे-कोने में
लगा -सजा दिये जाते हैँ
बोनजाई बनाकर !
बच्चे बोलें तो मार की सजा पाते हैं।
बस इलेक्ट्रॉनिक्स(रेडियो,टीo वीo, म्यूजिक सिस्टम)
का शोर चल जाता है।
क्योंकि जब हम चाहे
खामोश करा दिया जाता है।
यूँ देखो तो
कहने को हम हैं
मगर हमारी इच्छा के साथ हमें कौन चाहता है
हरेक की इच्छा के लिए
अगर हैं बने हम
तो काम चल जाता है
वरना बोनजाई पेड बनाकर
किनारे कोने में हमें लगा दिया जाता है...
हरेक अपने इर्दगिर्द बोनज़ाई चाहता है
इसलिए खुद भी बौना ही हुआ जाता है
बौना ही होता जाता है.....
--------- सुरेंद्र भसीन
No comments:
Post a Comment