वक़्त की नदी में
बहुत बहाव है...
बहुत ज्यादा रवानी और पानी है...
पकड़े रहो, जकड़े रहो
एक दूसरे को लगातार
पूरी मजबूती से, शिद्दत से...
बह गए तो
याद चाहे कितना भी आएं
मिल न पाएँगे फिर कभी
बहते ही चले जाएंगे...
न जाने कहाँ रुकेंगे...?
रुकेंगे भी या नहीं कहीं कि
पानी में ही, वक़्त में ही
गल घुल जाएंगे
सदा सदा के लिए...
पकड़े रहो,
जकड़े रहो
एक दूसरे को
वक़्त की नदी में
गलने घुलने से पहले...
वक़्त की नदी में
बहुत बहुत बहाव है...।
------ सुरेन्द्र भसीन
बहुत बहाव है...
बहुत ज्यादा रवानी और पानी है...
पकड़े रहो, जकड़े रहो
एक दूसरे को लगातार
पूरी मजबूती से, शिद्दत से...
बह गए तो
याद चाहे कितना भी आएं
मिल न पाएँगे फिर कभी
बहते ही चले जाएंगे...
न जाने कहाँ रुकेंगे...?
रुकेंगे भी या नहीं कहीं कि
पानी में ही, वक़्त में ही
गल घुल जाएंगे
सदा सदा के लिए...
पकड़े रहो,
जकड़े रहो
एक दूसरे को
वक़्त की नदी में
गलने घुलने से पहले...
वक़्त की नदी में
बहुत बहुत बहाव है...।
------ सुरेन्द्र भसीन