लाख चाहने पर भी
अपने आप
कोई मिट्टी का लोंदा
चॉक से कभी उतर नहीं पाता
कुशल कुम्हार ही
पूरा होने पर उसे धरती पर पहुँचाता है
तभी वह जीवन के पार गति कर पाता है
वरना, अधूरा
टूटा-फूटा
घूरा बन कर ही
समाप्त हो जाता है।
------------- सुरेन्द्र भसीन
अपने आप
कोई मिट्टी का लोंदा
चॉक से कभी उतर नहीं पाता
कुशल कुम्हार ही
पूरा होने पर उसे धरती पर पहुँचाता है
तभी वह जीवन के पार गति कर पाता है
वरना, अधूरा
टूटा-फूटा
घूरा बन कर ही
समाप्त हो जाता है।
------------- सुरेन्द्र भसीन
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